शुक्रवार, 5 अगस्त 2011

भाजपा के निशाने पर भ्रष्टाचार



सुशील राजेश,
नई दिल्लीः बेशक संसद की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित (साइनेडाई) करनी पड़े, लेकिन भाजपा अब भ्रष्टाचार के खिलाफ अपने अभियान को रोकने के मूड में नहीं है। ए. राजा के बाद शहरी विकासमंत्री जयपाल रेड्डी, ऊर्जा मंत्री सुशील कुमार शिंदे और दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित भाजपा के निशाने पर हैं। प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह तक को इस घेरे की गिरफ्त में लाने की रणनीति है। संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान एक दिन भी सदन की कार्यवाही नहीं चल सकी है। हालांकि शोर-शराबे और हंगामे के दौरान ही सरकार कुछ जरूरी दस्तावेज सदनों के पटल पर रखती रही है। भाजपा और विपक्ष के अन्य महत्त्वपूर्ण दल टू-जी स्पेक्ट्रम घोटाले, राष्ट्रमंडल खेलों और आदर्श हाउसिंग सोसायटी के भीतरी घपलों पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की मांग पर अड़े हैं। भीतरी सूत्रों के अनुसार भाजपा का आकलन है कि भ्रष्टाचार के इन मुद्दों पर ही अगले चुनाव जीते जा रहे सकते हैं। पार्टी बोफोर्स की तर्ज पर टू-जी स्पेक्ट्रम घोटाले को उग्र बनाना चाहती है। हालांकि लोकसभा चुनावों में अभी साढ़े तीन साल बाकी हैं। सूत्रों के अनुसार यदि हार कर यूपीए सरकार स्पेक्ट्रम घोटाले पर जेपीसी बिठाने की मांग मान भी लेती है, तो भाजपा राष्ट्रमंडल खेलों के मद्देनजर जयपाल रेड्डी को कटघरे में खड़ा करेगी। रेड्डी के खिलाफ दस्तावेज इकट्ठे किए जा रहे हैं। चूंकि शहरी विकास मंत्री होने के नाते दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) और सीपीडब्ल्यूडी आदि महकमे जयपाल रेड्डी के ही अधीन हैं। प्रधानमंत्री ने जो मंत्री समूह बनाया था। जयपाल उसके भी प्रमुख थे।

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